रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने आईपीएल 2025 का खिताब जीतकर 18 साल का इंतज़ार खत्म किया। विजयी ट्रॉफी लेकर टीम के घर वापसी पर जश्न मनाने के लिए प्रशंसक बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। प्रारंभ में बेंगलुरु पुलिस ने रविवार (2 जून) को परेड करने का प्रस्ताव रखा था, क्योंकि उस दिन कोई कार्यदिवस नहीं होता और सड़कें भी अपेक्षाकृत सूनी रहती हैं। इससे सुरक्षा व्यवस्था और बैरिकेडिंग की तैयारियाँ अच्छे से की जा सकती थीं, साथ ही ट्रैफिक भी कम रहेगा। लेकिन कर्नाटक सरकार ने आईपीएल फ़ाइनल के अगले ही दिन यानी बुधवार (4 जून) को ही विजयी जश्न आयोजित करने पर ज़िद कर दी, जिससे परेड विवादास्पद बन गई।
पुलिस का Sunday परेड का सुझाव और कर्नाटक सरकार की मंशा
पुलिस अधिकारियों ने सरकार को बताया कि रविवार का दिन चुनने से क्राउड कंट्रोल करने में आसानी होगी। कम ट्रैफिक और सार्वजनिक छुट्टी के कारण लोग इकट्ठा होने परड़धक कम समस्या पैदा करेंगे। इसके अलावा सुरक्षा बलों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा। वहीं कर्नाटक सरकार का तर्क था कि तुरंत जश्न मनाया जाए, क्योंकि आईपीएल खिताब जीतते ही पूरे शहर में उत्साह का माहौल बन चुका था। सरकार ने महसूस किया कि विजेता टीम का स्वागत उसी दिन करना चाहिए, जिसे RCB के फैंस “इतिहासिक दिन” के तौर पर याद रखें। दोनों के बीच इस समय-निर्धारण को लेकर टकराव हुआ, पर सरकार ने अंततः अपनी बात पर अड़ा रहना बेहतर समझा।
Wednesday की विजयी परेड में भारी भीड़ और भगदड़
4 जून की शाम को एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास ओपन-टॉप बस परेड की घोषणा होते ही करीब 3 लाख से अधिक RCB फैन्स परिसर के चारों ओर इकट्ठा हो गए। केवल पासधारकों को ही स्टेडियम के अंदर जाने की अनुमति थी, इसलिए बड़ी संख्या में लोग बाहर जमा हो गए। अनुमान के अनुसार, ट्रॉफी देखने के लिए करीब 2 लाख से ज़्यादा लोग स्टेडियम के मुख्य मार्ग पर खड़े थे। जैसे ही बस स्टेडियम की ओर बढ़ी, क्राउड में अचानक अफरातफरी मच गई।
अस्थायी बैरिकेडिंग और सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त नहीं होने के कारण लोग नियंत्रित नहीं हो पाए। नाले के ऊपर बनाए गए स्लैब पर भारी संख्या में लोग खड़े हो गए, जो उस भार को नहीं बर्दाश्त कर पाया। स्लैब टूटने के साथ ही भगदड़ मच गई, जिससे 11 लोगों की मौत हो गई और 40 से अधिक लोग घायल हुए। यह घटना शाम की लगभग 6 बजे हुई, जब शाम की हल्की रोशनी और उत्सवी माहौल दोनों एक साथ थे।
भगदड़ की वजह: अस्थायी स्लैब का टूटना
स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, स्लैब दरअसल एक अस्थायी निर्माण था, जिसे दर्शकों के मार्ग को पार करने के लिए रखा गया था। उसमें इसी वजह से सुरक्षा मानकों की कमी थी। उस पर खड़े होने वालों का भार झेलने में वह सक्षम नहीं रहा और अचानक नीचे धंस गया। स्लैब के टूटने से नीचे चल रहे लोग सहम गए, जिससे भगदड़ फैल गई। इसके अलावा आसपास बैरिकेड लगाने की व्यवस्था भी ठीक से नहीं थी, जिससे भीड़ को व्यवस्थित करने में दिक्कत आई।
लोग धक्का-मुक्की करने लगे और पत्थर-बिछे रास्ते पर लोगों के पैर फिसलने से कई गिर गए। चिकित्सा सुविधाएँ घटनास्थल से थोड़ी दूरी पर थीं, जिससे घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाने में विलंब हुआ।
बंगलुरु Stampede में मृतकों और घायलों की संख्या
घटना में 11 लोगों की जान चली गई, जिनमें ज़्यादातर जवान और किशोर थे। अस्पतालों में भर्ती 40 से अधिक घायल हैं, जिनमें से कुछ की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। मरने वालों में पुरुष और महिलाएँ दोनों शामिल हैं। कई फुटबॉल स्टेडियम के समीप के अस्पतालों और क्लीनिकों में भर्ती करवाए गए।
प्राथमिक जांच में पुलिस ने बताया कि एफआईआर दर्ज कर ली गई है, लेकिन अभी तक किसी को आरोपी नहीं बनाया गया है। जांच में यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि स्लैब लगाने और बैरिकेडिंग में कहां चूक हुई। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि सुरक्षा बलों ने कितने वक्त में प्रतिक्रिया दी और क्या राजकीय अधिकारियों ने निर्देशों का पालन किया।
गृह मंत्री परमेश्वरा का बयान और आगे की कार्रवाई
कर्नाटक के गृह मंत्री परमेश्वरा से जब पूछा गया कि RCB के जश्न को लेकर इतनी जल्दी क्या थी, तो उन्होंने साफ़ किया कि यह आयोजन सरकार की पहल नहीं थी। उन्होंने कहा, “हमने RCB या कर्नाटक क्रिकेट राज्य संघ (KSCA) से जश्न मनाने की कोई मांग नहीं की थी। यह कार्यक्रम उन्होंने खुद आयोजित किया। हमें लगा कि हमें भी टीम का सम्मान करना चाहिए। बस इतना ही, हमने नहीं कहा कि हम आयोजन करेंगे।”
मंत्री के अनुसार, सरकार ने केवल उत्सव में शामिल होने की सहमति दी थी, आयोजन पूरी तरह से KSCA का काम था। उन्होंने आश्वासन दिया कि जांच करके दोषियों को चिन्हित किया जाएगा और भविष्य में ऐसी भूल नहीं होगी। राज्य सरकार ने जल्द ही एक उच्च स्तरीय न्यायिक जांच आयोग गठित करने की घोषणा की है, ताकि दुर्घटना के पीछे की सभी वजहों का बारीकी से पता लगाया जा सके और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई हो।
भविष्य में बड़े आयोजनों के लिए सुरक्षा सुधार के सुझाव
पहले से अनुमति और तारीख तय करें: पर्वा राजधानी में बड़े आयोजनों के लिए वार्ता पुलिस, प्रशासन और आयोजक तीनों के बीच सप्ताह पहले बैठक करके तय करनी चाहिए।
सुरक्षा व्यवस्था का ऑडिट: अस्थायी स्लैब, बैरिकेड और प्रवेश द्वारों की मजबूती का ऑडिट किया जाए।
क्राउड कंट्रोल उपकरण और प्रशिक्षण: पुलिस और इंटेलिजेंस सेल को आधुनिक भीड़-कंट्रोल तकनीक व उपकरण मुहैया कराएं।
आपातकालीन सेवाओं को करीब रखना: एम्बुलेंस और प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों को तुरन्त पहुँच सुनिश्चित करने के लिए रोस्टर पर रखें।
सार्वजनिक सूचना प्रसारण: भीड़ को शांत रखने के लिए दीवारों, गाड़ियों और स्वयंसेवकों के जरिए समय-समय पर सूचना दें।
इन सुधारों के साथ आगे की हलचल में बड़े इवेंट आयोजकों और सरकारी तंत्र को मिलकर काम करना होगा, ताकि पुनः ऐसी त्रासदी दोबारा न घटे।